सुशील यादव की पुस्तकें
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  • शिष्टाचार के बहाने

    पुलिस मुहकमे में फरमान जारी हुआ कि वे शिष्टाचार सप्ताह मनाएँगे।
    आम जनता का दहशत में आना लाज़िमी सा हो गया।
    वे किसी भी पुलिसिया हरकत को सहज में लेते नहीं दीखते।
    डंडे का ख़ौफ़ इस कदर हावी है कि सिवाय इसके, वर्दी के पीछे सभ्य सा कुछ दिखाई नहीं देता। पुलिस के हत्थे आप चढ़ गए, तो पुरखों तक के रिकार्ड और फ़ाइल वे मिनटों में डाउनलोड करवा लेते हैं।

Author's Info

सुशील यादव 'Sushil Yadav'

जन्म 30 जून 1952 दुर्ग छत्तीसगढ़
रिटायर्ड डिप्टी कमीश्नर,
कस्टम्स, सेन्ट्रल एक्साइज़ एवं सर्विस टैक्स
व्यंग्य, कविता, कहानी का स्वतंत्र लेखन। सामजिक और राजनीतिक विसंगतियों या विद्रूपताओं पर आक्षेप की परिणिति में रचनाएँ अपने ही आप आकार ले बैठी हैं। आपके मूल्यांकन लायक़, लोहा मनवाने की स्तिथियाँ बन पाई हैं अथवा नहीं? प्रथम पुस्तक के प्रकाशन का श्रेय माननीय श्री सुमन घई जी को है। जिनके आग्रह और साहित्य कुञ्ज के माध्यम ने समय-समय पर मेरी रचनाओं को पाठकों तक पहुँचाया। उनका तथा प्रकाशक “पुस्तक बाज़ार”  का हृदय से आभार!     
रचनाएँ स्तरीय मासिक पत्रिकाओं यथा कादंबिनी, सरिता, मुक्ता तथा समाचार पत्रों के साहित्य संस्करणों में प्रकाशित। अधिकतर रचनाएँ gadyakosh.org , रचनाकार.org , अभिव्यक्ति, उदंती, साहित्य शिल्पी एवं साहित्य कुञ्ज में नियमित रूप से प्रकाशित।
ई-मेल: [email protected]