शरत्‌चन्द्र चट्टोपाध्याय की पुस्तकें
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  • पथ के दावेदार

    .."पथ के दावेदार" स्व. शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय के बंगाला उपन्यास "पथेर दावी" का हिन्दी अनुवाद है। क्योंकि यह उपन्यास समाज में स्वतन्त्रता के लिए क्रांति की पैरवी करता था, इसलिए बंगला में प्रकाशित होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने इस ज़ब्त कर लिया। पुस्तक बाज़ार के सौजन्य से "पथ के दावेदार" का निःशुल्क आनन्द उठाएँ।

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शरत्‌चन्द्र चट्टोपाध्याय 'Shartchandra Chattopadhyay'

शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय (१५ सितंबर, १८७६ - १६ जनवरी, १९३८) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे।
उनका जन्म हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ। अठारह साल की अवस्था में उन्होंने "बासा" (घर) नाम से एक उपन्यास लिख डाला, पर यह रचना प्रकाशित नहीं हुई। शरत्चन्द्र ललित कला के छात्र थे लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह इस विषय की पढ़ाई नहीं कर सके। रोज़गार के तलाश में शरतचन्द्र बर्मा गए और लोक निर्माण विभाग में क्लर्क के रूप में काम किया।
शरत्चन्द्र ने अनेक उपन्यास लिखे जिनमें पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, श्रीकांत, अरक्षणीया, निष्कृति, मामलार फल, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, बाम्हन की लड़की, विप्रदास, देना पावना आदि प्रमुख हैं। बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन को लेकर उन्होंने "पथेर दाबी"(पथ के दावेदार) उपन्यास लिखा जिसका तीन हज़ार का संस्करण तीन महीने में समाप्त हो गया। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने इसे ज़ब्त कर लिया।