वह अब भी वहीं है

प्रदीप श्रीवास्तव

हर उपन्यास, कहानी के पीछे भी एक कहानी होती है। जो उसकी बुनियाद की पहली शिला होती है। उसी पर पूरी कहानी या उपन्यास अपनी इमारत खड़ी करता है। यह उपन्यास भी कुछ ऐसी ही स्थितियों से गुज़रता हुआ अपना पूरा आकार ग्रहण कर सका

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