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रात भर जागने से क्या हासिल
अखिल साहब के कलाम के हर शेर में एक मुकम्मल किताब का मनसूबा है। और हर शेर किसी ख़ास शख़्स से मंसूब नहीं बल्कि हम सब से मंसूब है। वे अपने एक शेर में मेरी बात ख़ुद ही कहते हैं:
"हर इक ज़र्रे में गौहर देखता हूँ
मैं क़तरे में समंदर देखता हूँ"
– डॉ. अफ़रोज़ ताज