नई पुस्तकें
Sort By:
  • पदमावत का काव्य-शिल्प

    "पदमावत" प्रेमकथा काव्य-परम्परा की प्रति निधि रचना है, उसका उद्देश्य सांस्कृतिक समन्वय की विराट् भावना है। कविवर जायसी ने इस कृति में भाव तथा शिल्प दोनों ही स्तरों पर समन्वय की चेष्टा की है। यह समन्वय भारतीय काव्य परम्परा और मसनवी शैली के मध्य किया गया है। अस्तु, इस भावना के कारण पदमावत की महत्ता बढ़ गयी है।

    - डॉ. निशा शर्मा

  • क्षमा करना पार्वती

    आधुनिक समाज के मानवीय संबंधों में जीवन के अर्थ खोजती, जीवन का उत्सव मनाती और दैनिक जीवन से संघर्षरत पात्रों की कहानियाँ - जिनसे आप स्वयं को जुड़ा हुआ पाएँगे - सुमन कुमार घई संपादक - sahityakunj.net

    यह कहानियाँ मात्र कहानियाँ नहीं है, यह सुख - दुख के साथ जिया गया जीवन है। इन कहानियों में कहीं न कहीं आप ख़ुद को ढूँढ़ पाएँगे बस इतना कह सकता हूँ। मन के किसी भी कोने में

  • स्मृति-मंजूषा

    प्रवासी भारतीयों का अपना एक संसार है। उनकी जीने की अपनी एक शैली है। लाखों नहीं करोड़ों की आबादी विदेशों में प्रवासी भारतीय के रूप में वहाँ की ज़मीन पर बसी है। कहीं पहली पीढ़ी है कहीं दूसरी या तीसरी पीढ़ी है। सबकी अपनी एक शैली है। वहाँ के होकर वहाँ का न होना, बच्चों को वहाँ रखकर, उन्हें वहाँ के प्रभावों से बचाये रखने का प्रयत्न करना, भारत से दूर उन्हें भारतीय बनाये रखना,

  • गुरु गूगल दोऊ खड़े

    आज के ज़माने में गुरु का हाल देख कर दिल दहल उठता है। तुलसी दास जी ने लिखा है “मातु पिता अरू गुरु की बानी/बिनहि विचार करिय शुभ जानी” पर लगता है इस चौपाई में से अब गुरु को बाहर निकालने का समय आ गया है। आज गुरु पर भरोसा करना शिष्य को भारी पड़ सकता है। गुरु गुरुता खो चुके हैं। इतना ही नहीं आज गुरु के न जाने कितने विकल्प आ गये हैं।

  • प्रारब्ध

    यह कविताएँ विचार, समय और घटनाओं के फलस्वरूप उत्पन्न हुई हैं इसलिए यह अनायास क़लमबद्ध हुईं और इन्होंने मेरे नियंत्रण से स्वयं को स्वतंत्र रखा है। इसी कारण से कविताओं का विषय क्षेत्र भी व्यापक है और वर्णन क्षेत्र भी। स्त्री और प्रेम से होते हुए यह कविताएँ समाज, प्रकृति, समाजवाद, संवेदनहीनता आदि न जाने कितनी गलियों से गुज़री हैं।

Best Sellers