गुरु गूगल दोऊ खड़े

मुरली श्रीवास्तव

आज के ज़माने में गुरु का हाल देख कर दिल दहल उठता है। तुलसी दास जी ने लिखा है “मातु पिता अरू गुरु की बानी/बिनहि विचार करिय शुभ जानी” पर लगता है इस चौपाई में से अब गुरु को बाहर निकालने का समय आ गया है। आज गुरु पर भरोसा करना शिष्य को भारी पड़ सकता है। गुरु गुरुता खो चुके हैं। इतना ही नहीं आज गुरु के न जाने कितने विकल्प आ गये हैं।

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