विजय विक्रान्त की पुस्तकें
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  • यादें ईरान की

    ईरान में भी शुरू-शुरू में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन थोड़े ही अर्से में जब राख के ढेर के नीचे सुलगती हुई चिंगारी के आग बन जाने पर, उसकी गर्मा-गरम लौ का असली वहशी चेहरा सामने आया तो हालात ने भी बड़ी तेज़ी से ज़ोर का पल्टा खाया। इस चपेट से कोई भी नहीं बचा और सारे देश का ढाँचा उलट-पुलट कर दिया। ऐसे माहौल में रहना और उस से गुज़रना अपने आप में एक करिश्मा है और हमारा सारा परिवार कहीं ना कहीं और कभी ना कभी इन हादसों से गुज़रा है।