भाषा एवं साहित्य
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  • पदमावत का काव्य-शिल्प

    "पदमावत" प्रेमकथा काव्य-परम्परा की प्रति निधि रचना है, उसका उद्देश्य सांस्कृतिक समन्वय की विराट् भावना है। कविवर जायसी ने इस कृति में भाव तथा शिल्प दोनों ही स्तरों पर समन्वय की चेष्टा की है। यह समन्वय भारतीय काव्य परम्परा और मसनवी शैली के मध्य किया गया है। अस्तु, इस भावना के कारण पदमावत की महत्ता बढ़ गयी है।

    - डॉ. निशा शर्मा

  • वंशीधर शुक्ल का काव्य

    शुक्ल जी की कविताएँ ग्राम्य जीवन का जीवन्त दृश्य उपस्थित करने में तो सक्षम हैं ही साथ ही राजनीतिक चेतना का आदर्श रूप भी हमारे सम्मुख प्रस्तुत करती हैं। शुक्ल जी ने कृषकों और श्रमिकों की दयनीय स्थिति और शोषण का सजीव चित्रण किया है। उनके संघर्ष और त्रासदपूर्ण जीवन का वास्तविक प्रतिबिम्ब वंशीधर जी के काव्य में देखा जा सकता है। 

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