उत्तम टेकड़ीवाल की पुस्तकें
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दर्शन
प्रेम के असीम दरिया के पार है मंज़िल तेरी,
डूबकर मर-मिटने से दिले नादान क्यों घबराते हो?
समर्पण का तिनका ही ले जाएगा भवसागर के पार,
दिल के दर्पण में ईश्वर की परछाइयाँ क्यों बनाते हो?- दर्शन
हार कर अस्तित्व अपना, जो सर्वस्व पाता है,
जो हरे हर तम को, वो हरि कहलाता है।- राम हरे कृष्ण
साँसों की आरी काट रही है,
मन पर
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![](https://pustakbazaar.com/uploads/authors/UttamTekriwal.jpg)
उत्तम टेकड़ीवाल 'Uttam Tekriwal'
देश की सांस्कृतिक राजधानी कलकत्ता में पले बढ़े उत्तम टेकड़ीवाल पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। उनका जन्म 24 दिसंबर 1966 को एक मध्यवर्गीय संयुक्त परिवार में हुआ। चित्रकारी और शिल्पकला उनकी अन्य रुचियाँ हैं।