ग़ज़लें और शायरी
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रात भर जागने से क्या हासिल
अखिल साहब के कलाम के हर शेर में एक मुकम्मल किताब का मनसूबा है। और हर शेर किसी ख़ास शख़्स से मंसूब नहीं बल्कि हम सब से मंसूब है। वे अपने एक शेर में मेरी बात ख़ुद ही कहते हैं:
"हर इक ज़र्रे में गौहर देखता हूँ
मैं क़तरे में समंदर देखता हूँ"
– डॉ. अफ़रोज़ ताज -
ख़ुमारी
"ख़ुमारी" की ग़ज़लें संपूर्ण जीवन की ग़ज़ले हैं। राजनैतिक मुद्दे, धार्मिक विडम्बनाएँ, व्यक्तित्व के प्रश्न, प्रेम, बिछोह, मिलन यानी कि मानव जीने के लिए जिन गलियों में से गुज़रता है, जसबीर की ग़ज़लें भी उन्हीं गलियों से गुज़रती हैं। "ख़ुमारी" का हरेक शे’अर उम्दा है। हर भाव में कसक है, हर प्रश्न सोचने पर मजबूर करता है, पढ़ते हुए पाठक को लगता है कि उसका सीधा संवाद लेखक से हो रहा