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आगाज़
आहुति -
कहते हैं कि हर चीज़ के दो पहलू होते हैं, अच्छा और बुरा। ऐसा ही कुछ मीडिया के साथ है। राई का पहाड़ बनाना या बात को तूल देना इन्हें ख़ूब आता है। यह अच्छी बात है कि ख़बर अच्छी हो या बुरी, जनमानस तक पहुँचाना इनका कर्तव्य है परन्तु ख़बर देने के मामले में ये एक दूसरे से आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा में इस क़दर अन्धे हो जाते हैं कि ख़बरों
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टोरोंटो क्षेत्र की साहित्यिक गतिविधियों में निर्मल सिद्धू एक जाना-पहचाना नाम है। 1999 से प्रवासी जीवन व्यतीत करते हुये इन्होंने अपना नाता साहित्य-लेखन से भी बख़ूबी जोड़ रखा है। ये कवितायें, ग़ज़लें, नज़्में, हाईकू, गीत व कहानियाँ आदि सारी विधाओं मे पूरी दक्षता से लिखते हैं। अभिनय से जो लगाव इनको कॉलेज के दिनों में हुआ था वह आज तक बरक़रार है, जिसका सबूत इन्होंने टोरोंटो में नाटक, टी.वी. सीरियल, फ़िल्म तथा वीडियोज़ में अपने अभिनय का प्रदर्शन कर कई बार दिया है।
"आग़ाज़" इनका प्रथम कहानी संग्रह है। एक कविता संग्रह "निर्मलभाव" पहले छप चुका है तथा एक और प्रकाशनाधीन है। "आग़ाज़" की कहानियाँ इनके कैनेडा के अनुभवों का निचोड़ है जिनमें मानवीय समाज के बदलते मुल्यों को सुन्दर ढंग से पेश किया गया है। अपने बारे में अक्सर कहते हैं कि
सब भले कल भूल जायें गुज़री कहानी जानकर
मैं नये क़िरदार में आ, फिर नया आग़ाज़ हूँ।