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अम्बर बाँचे पाती
... साँझ और रात भी कम सुन्दर नहीं। साँझ होते ही स्वर्णिम धूप के पन्ने गुलाबी होने लगे हैं, कहीं सिन्दूरी साँझ होने पर आकाश का लोहित होना और धूप का लेटना, घुली चाँदनी का आँगन के कसोरे में उतरने का रूपक, सर्द चाँदनी का रात भर चुम्बन उलीचना अभिव्यक्ति सौन्दर्य में रंग भर देते हैं-
- साँझ ढली तो / स्वर्ण धूप के पन्ने / हुए गुलाबी।
- सिंदूरी साँझ / गगन है लोहित /
Author's Info
शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रकाशन: "अम्बर बाँचे पाती" (मेरा पहला हाइकु संग्रह) प्रकाशित।
यादों के पाखी (हाइकु संग्रह) अलसाई चाँदनी (सेदोका संग्रह) उजास साथ रखना (चोका संग्रह) आधी आबादी का आकाश (हाइकु संग्रह) पीर भरा दरिया(माहिया संग्रह) लघु कथा अनवरत एवं कविता अनवरत संकलनों में अन्य रचनाकारों के साथ मेरी रचनाएं। हिन्दी चेतना, गर्भनाल, सादर इण्डिया, नेवा: हाइकु, शोध दिशा, सरस्वती सुमन, अम्स्टेल गंगा, गवेषणा, लघुकथा.काम, हिन्दी-टाइम्स, पत्र-पत्रिकाओं एवं नेट : हिन्दी हाइकु, त्रिवेणी, सहज साहित्य, अनुभूति-अभिव्यक्ति, साहित्य कुंज नेट (वेब पत्रिका) में हाइकु, ताँका, चोका, सेदोका, माहिया, कविताएँ एवं लघुकथाओं का प्रकाशन।
पुरस्कार: विश्व हिन्दी संस्थान की अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त।
विशेष: हिन्दी राइटर्स गिल्ड (टोरोंटो) की सदस्या एवं परिचालन निदेशिका। डी.एल.एफ. सिटी-गुड़गाँव (भारत) एवं कैनेडा में शिक्षण।
सम्प्रति: टोरोंटो (कनाडा) में निवास। आजकल स्वतंत्र लेखन।
सम्पर्क: 62, हिलहर्सट ड्राइव, रिचमण्डहिल,ओंटेरियो, कनाडा, एल4बी 2वी3
ई-मेल: [email protected]