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पदमावत का काव्य-शिल्प
"पदमावत" प्रेमकथा काव्य-परम्परा की प्रति निधि रचना है, उसका उद्देश्य सांस्कृतिक समन्वय की विराट् भावना है। कविवर जायसी ने इस कृति में भाव तथा शिल्प दोनों ही स्तरों पर समन्वय की चेष्टा की है। यह समन्वय भारतीय काव्य परम्परा और मसनवी शैली के मध्य किया गया है। अस्तु, इस भावना के कारण पदमावत की महत्ता बढ़ गयी है।
- डॉ. निशा शर्मा
Author's Info
जन्म : रोहतक (हरियाणा)
शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी) स्वर्णपदक, एम.फिल., पी-एच.डी.
अध्ययनाध्याय : कविता, साहित्यशास्त्र, अनुवाद आदि
प्रकाशन :
पुस्तकें :
• साठोत्तर हिन्दी काव्य मेँ पौराणिक पुनराख्यान
• पदमावत का काव्य शिल्प
• परमानन्ददास की सौन्दर्य चेतना
• गद्य वाटिका (सम्पादित)
• साहित्य : स्वरूप एवम् विधाएँ
• अनेक राष्ट्रस्तरीय पत्र-पत्रिकाओँ मेँ लेख, शोधपत्र, पुस्तक- समीक्षाएँ प्रकाशित
अन्य गतिविधियाँ : साहित्य-लेखन के अतिरिक्त आकाशवाणी रोहतक एवम् पाण्डिचेरी पर साक्षात्कार, वार्ता- परिचर्चा, कविता-पाठ प्रसारण तथा संगोष्ठी-आयोजन आदि
संप्रति : अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, भारतीदासन गवर्नमैण्ट कालेज फार विमैन, पाण्डिचेरी
सम्पर्क : [email protected]