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चाण्डाल-चौकड़ी
मोहनजी –
[क़िले के सामने नज़र दौड़ाते हुए] – अरे ठोकिरा कढ़ी खायोड़ा मेहरान गढ़ के क़िले, तू कहाँ जा रिया है...?
लाडी बाई –
[ग़ुस्से से बेक़ाबू होकर, कहती है] – कहीं नहीं जा रहा है, यह जोधपुर का क़िला। कल जहाँ था, आज भी वहीं है।
मोहनजी –
क्या कहा, आपने?
लाडी बाई –
मारवाड़ के लोगों की हालत यह है, कि इस जोधपुर के क़िले -
भोला विनायक
स्वर्गीय पंडित बालकृष्ण भट्ट द्वारा “नूतन ब्रह्मचारी’ नामक एक लघु उपन्यास आधार बनाते हुए, मैंने एक मनोरंजक नाटक तैयार किया है। जिसका नाम रखा है “भोला विनायक”। कहानी में कुछ बदलाव लाकर मैंने इस नाटक में हास्य रस लाने की कोशिश की है। मैंने इस पुस्तक के पहले दो हास्य नाटक लिखे हैं उन पुस्तकों का नाम है, “कहाँ जा रिया है, कढ़ी खायोड़ा और गाड़ी के मुसाफ़िर”। -दिनेश चन्द्र पुरोहित
Author's Info
जोधपुर (राजस्थान)
सेवानिवृत शिक्षा-विभाग राज्यकर्मचारी.
प्रकाशित पुस्तकेंः
मारवाड़ी भाषा की पुस्तकेंः नाटक - “कठै जावै रै, कढ़ी खायोड़ा”, “गाड़ी रा मुसाफ़िर” कहानियाँः मारवाड़ री कहानियां
उपरोक्त पुस्तकें हिंदी में अनूदितः कहां जा रिया है, कढ़ी खायोड़ा; गाड़ी के मुसाफिर; याद तुम्हारी हो
हिंदी पुस्तकेंः डोलर-हिंडा (संस्मरणात्मक); मारवाड़ की लघु कहानियां (कहानी संग्रह); भोला विनायक (नाटक)
उर्दू पुस्तकेंः दबिस्तान-ए-सियासत (नाटक); बिल्ली के गले में घंटी (कहानी संग्रह) इन पुस्तकों की लिपि देवनागरी है।
प्रकाशाधीन पुस्तकेंः ओ, राम-राम (नाटक); गुरु कृपा (कहानी संग्रह); ज़ख्म-ए-दिल (उर्दू कहानी संग्रह)
ई मेलः [email protected]