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युग-संधि के इस पार
मेरी नज़र में इस संग्रह की सभी रचनाओं में कुछ न कुछ संदेश एवं साहित्यिक निष्कर्ष निहित है। मुझे आशा है कि वरिष्ठ कवि लेखक साहित्यकार साहित्यप्रेमी एवं सुधि पाठकों को इस संग्रह की कविताएँ अच्छी लगेंगी वे इसे दिल से पढ़ेंगे और निःसंकोच अपनी सच्ची प्रतिक्रिया भी देंगे। आलोचनाओं एवं सुझावों का विशेष स्वागत है जो आगामी संकलनों में मुझे और बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।
— राजनन्दन सिंह
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मेरे सतरंगी सपने
शब्द साहित्य का ज्ञान जब आत्मा में प्रतिध्वनित होकर काग़ज़ पर शब्द का रूप लेता है तो, वह सर्जन काव्य कहलाता है। जब मन में विचारों के बादल घुमड़ते हैं तो, सहज ही लिखना अनिवार्य हो जाता है। यह सिर्फ़ एक काव्य संग्रह नहीं बल्कि मेरा सपना है। मेरे मन से निकली आवाज़ है, मैंने उसे अपने काव्य-रूपी माला में पिरोने का प्रयास किया है।
— रीता तिवारी ’रीत’
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रूहदारी
कई बार व्यथा इतनी प्रगाढ़ होती है कि लिखते समय, मन, आँखें, भाव, सम्वेदनाएँ, अल्फ़ाज़, क़लम और पन्ने, ये सब इतने पुरनम और पुरअश्क़ होते हैं और वे किस शक्ल में ढलते जाते हैं, पता ही नहीं चलता। जब ज्वार थमता है, तब मालूम पड़ता है कि कविता या क़िस्सा क्या बन कर आया!
– डॉ. दीप्ति गुप्ता
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सपनों का आकाश - कैनेडा पद्य संकलन
इस संकलन के इकतालीस कवियों में कैनेडा के वरिष्ठ पीढ़ी के कवि भी हैं और नई पीढ़ी के भी। ये निरंतर अपने को माँज रहे हैं, शब्दों के बीच भावनाओं के गहरे रंग आँज रहे हैं, चिंतन की तलवार, जीवन के युद्ध में भाँज रहे हैं..! इनकी कविताएँ परिष्कार की राह पर जाती एक सामूहिक शक्ति मार्च की तरह हैं जो निश्चित ही अपने गंतव्य तक पहुँचेंगी।
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प्रारब्ध
यह कविताएँ विचार, समय और घटनाओं के फलस्वरूप उत्पन्न हुई हैं इसलिए यह अनायास क़लमबद्ध हुईं और इन्होंने मेरे नियंत्रण से स्वयं को स्वतंत्र रखा है। इसी कारण से कविताओं का विषय क्षेत्र भी व्यापक है और वर्णन क्षेत्र भी। स्त्री और प्रेम से होते हुए यह कविताएँ समाज, प्रकृति, समाजवाद, संवेदनहीनता आदि न जाने कितनी गलियों से गुज़री हैं।