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यादें ईरान की
ईरान में भी शुरू-शुरू में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन थोड़े ही अर्से में जब राख के ढेर के नीचे सुलगती हुई चिंगारी के आग बन जाने पर, उसकी गर्मा-गरम लौ का असली वहशी चेहरा सामने आया तो हालात ने भी बड़ी तेज़ी से ज़ोर का पल्टा खाया। इस चपेट से कोई भी नहीं बचा और सारे देश का ढाँचा उलट-पुलट कर दिया। ऐसे माहौल में रहना और उस से गुज़रना अपने आप
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मेरे सपनों की उड़ान व स्मृतियाँ
आपके समक्ष अपनी द्वितीय पुस्तक “मेरे सपनों की उड़ान व मेरी स्मृतियाँ” संस्मरण एवं यात्रा संस्मरण प्रस्तुत करते हुए असीम आनंद व प्रसन्नता का अनुभव कर रही हूँ। जीवन के सफ़र में आगे बढ़ते हुए कुछ ऐसी घटनाएँ घटित होती हैं, जो जीवन का एक अभिन्न अंग बन जाती हैं और वह सदैव मानस पटल पर अंकित हो जाती हैं। उनको याद कर के हृदय रोमांचित हो जाता है और उन्हें हम अपनी यादों के
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मेरी कहानियाँ खंड एक
प्रदीप श्रीवास्तव एक विशेष श्रेणी के कहानीकार हैं। उनके सृजन का कैनवस बहुत विस्तृत है। समाज की विसंगतियों से लेकर भ्रष्ट राजनीति तक; समाज की विकृतियों से लेकर समाज सेवा में अपने प्राण निछावर कर देने की भावना उनकी कहानियों में झलकती है। इस कथा संचयन की कुछ कहानियाँ कोरोना काल की भी हैं। इनमें मानवीय संवेदना की पराकाष्ठा भी देखने को मिलेगी तो दूसरी तरफ़ प्रशासन की अव्यवस्था पर भी करारी चोट करती हुई
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युग-संधि के इस पार
मेरी नज़र में इस संग्रह की सभी रचनाओं में कुछ न कुछ संदेश एवं साहित्यिक निष्कर्ष निहित है। मुझे आशा है कि वरिष्ठ कवि लेखक साहित्यकार साहित्यप्रेमी एवं सुधि पाठकों को इस संग्रह की कविताएँ अच्छी लगेंगी वे इसे दिल से पढ़ेंगे और निःसंकोच अपनी सच्ची प्रतिक्रिया भी देंगे। आलोचनाओं एवं सुझावों का विशेष स्वागत है जो आगामी संकलनों में मुझे और बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।
— राजनन्दन सिंह
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नक्सली राजा का बाजा एवं अन्य कहानियाँ
प्रदीप श्रीवास्तव उन बिरले रचनाकारों में हैं जो घटनाओं और व्यक्तियों के मनोविज्ञान की बारीक़ियों की सूक्ष्म पड़ताल करते हैं। फिर ऐसे परत दर परत खोलते हैं कि आम व्यक्ति हो या शिक्षित, सभी देश को अस्थिर करने की सारी चालें समझ जागरूक होता है। कहानियाँ इसी वज़ह से लंबी होती हैं पर उनमें कसावट, रोचकता और घटनाओं का तेज़ प्रवाह होता है।
—डॉ. सन्दीप अवस्थी
आलोचक, फ़िल्म लेखक