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उसने लिखा था
भारत में 1960 का दशक स्वप्नभंग तथा कठोर यथार्थ से संघर्ष का रहा। चीन तथा पाकिस्तान से युद्ध, जवाहरलाल नेहरू तथा लाल बहादुर शास्त्री का निधन, अकाल, ग़रीबी - भारतवासी अब देशभक्ति के अतिरिक्त व्यक्तिगत स्वार्थ के बारे में भी चिंतित होने लगे। इस काल में विद्याभूषण ’श्रीरश्मि’ की रचनाएँ अत्यंत प्रचलित हुईं। ’उसने लिखा था’ में सम्मिलित हिन्दी अकादमी पुरस्कार सम्मानित ’श्रीरश्मि’ की दस कहानियाँ निर्दोष हास्य, व्यंग्य, आध्यात्म, प्रणय, आडंबर, स्वार्थपरता, स्नेह, स्वाभिमान,
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.अमिताभ वर्मा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रौद्योगिक संस्थान से खनन अभियांत्रिकी में स्नातक हैं। उन्होंने निजी क्षेत्र की विभिन्न कम्पनियों में पैंतीस वर्ष कार्यरत रहने के बाद 2016 में अवकाश ग्रहण किया। वे आकाशवाणी से बतौर समाचार सम्पादक और समाचार वाचक सम्बद्ध रहे हैं। उनके तेरह-तेरह एपिसोड के दो धारावाहिक नाटक - बाल-श्रम के विरुद्व ’अब ऐसी ही सुबह होगी’ तथा कन्या-संरक्षण पर ’नन्ही परी’ - आकाशवाणी पर प्रसारित हुए। वे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के टेलिविज़न तथा रेडियो कार्यक्रमों में अभिनय तथा पटकथा लेखन द्वारा योगदान करते रहे हैं। उनकी रचनाओं का संकलन, ’कृतिसंग्रह’, बहुत सराहा गया। उन्होंने एक अंग्रेज़ी पुस्तक, ’स्टेइंग इन्सपायर्ड’, भी लिखी है।