-
ज़िंदगी की परिभाषा
मेरे दिल में भी बहुत सारी बातें थीं जो किसी से कहना तो चाहते थे पर कह नहीं पाए। इससे पहले की मेरी ज़िन्दगी की परिभाषा बदले मैंने उसके लिए काग़ज़ क़लम का सहारा लिया और अपने दिल की सारी बातें उसमें लिख डालीं जिससे दिल को आराम भी मिल गया और ये किताब भी बन गई। इसमें मैंने कुछ ऐसी आँखों देखी और कुछ पढ़ी हुई कहानियों को सम्मिलित किया है जिन्होंने मेरे दिल
-
मेरे सनम
"दिल में दरिया है दर्द का,
जो लफ़्ज़ों में बहता है।
लिख देते हैं फ़साना ख़ुद का.
और ग़ज़ल बन जाती है।"दर्द देने वाला कोई बाहर वाला नहीं होता है। ग़म हो या ख़ुशी सब कुछ आपके अपनों से ही मिलता है। हमारी ज़िंदगी में सुख दुःख और लोगों का मिलना बिछ्ड़ना तो चलता ही रहता है। इन सभी घटनाक्रमों के बीच हमारे दिलो-दिमाग़ में जो अहसास और जज़्बात घूमते रहते
Author's Info
.जन्म 1979 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में हुआ और शादी के बाद से इंदौर रहने लगी।
मेरी कुछ कहानियाँ व आलेख नयी दुनिया समाचार पत्र में प्रकाशित हुए हैं साथ ही वनिता पत्रिका में मेरी कहानियाँ प्रकाशित हुईं हैं।
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से एम.एससी. (केमिस्ट्री), NTT का कोर्स और कम्प्यूटर कोर्स।
"जो भी मैंने लिखा है वो सोच समझ कर नहीं लिखा बल्कि खुद ब खुद लिख जाता है। मेरे दिल और दिमाग में हर वक्त जो अहसास चलते रहते हैं मैं तो सिर्फ़ उन्हें पन्नों पर उतार देती हूँ।"
ई-मेल: [email protected]