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वंशीधर शुक्ल का काव्य
शुक्ल जी की कविताएँ ग्राम्य जीवन का जीवन्त दृश्य उपस्थित करने में तो सक्षम हैं ही साथ ही राजनीतिक चेतना का आदर्श रूप भी हमारे सम्मुख प्रस्तुत करती हैं। शुक्ल जी ने कृषकों और श्रमिकों की दयनीय स्थिति और शोषण का सजीव चित्रण किया है। उनके संघर्ष और त्रासदपूर्ण जीवन का वास्तविक प्रतिबिम्ब वंशीधर जी के काव्य में देखा जा सकता है।
Author's Info
एम.ए. हिन्दी, बी.एड., पीएच.डी.
असि. प्रो. हिन्दी विभाग, महामाया राजकीय महाविद्यालय, महोना, लखनऊ
प्रकाशन एवं सम्पादन: “अर्णव” (विभिन्न विषयों के उच्च स्तरीय शोध पत्रों का संकलन) 3 अंक प्रकाशित।
लघुकथा संग्रह, “अपने सपने सबके अपने” में चयनित लघुकथाओं का प्रकाशन
प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य; आधुनिक हिन्दी काव्य संकलन; प्रयोजनमूलक हिन्दी का स्वरूप; हिन्दी भाषा का विकास एवं व्याकरण; “वंशीधर शुक्ल का काव्य” (समीक्षात्मक पुस्तक,प्रथम संस्करण 2016)
राजकीय महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका का निरन्तर दस वर्षो से सम्पादन।
विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में अनेक शोध पत्रों एवं लेखों का प्रकाशन (साहित्य भारती- उ.प्र. हिन्दी संस्थान लखनऊ, समकालीन अभिव्यक्ति, यू.एस.एम. पत्रिका,अवध ज्योति, कृतिका,शोध संचार बुलेटिन आदि पत्रिकाएँ)
सम्मान/पुरस्कार: “शिक्षा भूषण” सम्मान, राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास द्वारा 20वें अखिल भारतीय हिन्दी सम्मेलन गाजियाबाद, लघुकथाओं हेतु ‘प्रशस्ति पत्र‘ प्राप्त; “बदायूँ श्री” सम्मान से विभूषित (16 फरवरी, 2013)
ई-मेल: [email protected]