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ठगिनी और अन्य कहानियाँ
रातों के साथ जाने कितने राज़ जुड़े होते हैं। इसी लिये रातों के क़िस्से हमेशा दिलचस्प हुआ करते हैं। लेकिन रातों के अक्सर क़िस्से रातों की तरह स्याह हुआ करते हैं। रात की तारीक़ी में अक्सर, एक दूसरी ही जमात रिज़्क़ की तलाश में निकलती है। यह जमात भी दिन में कारोबार करने वाली जमातों से मिलती-जुलती, लेकिन कई बार बिल्कुल अलग होती है। इनके कारोबार भी
Author's Info
मेरा पूरा नाम_ मिर्ज़ा हफ़ीज़ बेग, पिता का नाम स्व. मिर्ज़ा हबीब बेग, भारत के राज्य छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण शहर भिलाई का रहने वाला हूँ। मेरा जन्म और शिक्षा भी यहीं हुई। यहीं पर स्टील अथॉरिट ऑफ़ इंडिया लिम. के उपक्रम भिलाई इस्पात संयत्र में सन् 1985 से कार्यरत हूँ और अगस्त 2024 तक सेवा बाक़ी है। बचपन में नाटक के शौक़ ने लेखक बना दिया… लेकिन एक दिन हालात से समझौता करके अपने अन्दर के लेखक का क़त्ल कर दिया, अपनी प्रकाशित, अप्रकाशित रचनाओं को रद्दी मे बेच दिया; बचपन से जमा किया किताबों का संग्रह रद्दी में बेच दिया और निश्चिंत हो गया कि वह लेखक मर गया। लेकिन पच्चीस साल बाद एक घटना ने उसे जीवित कर दिया और उसने एक कहानी की रचना की "एक लेखक की मौत" … बाक़ी आपके सामने है। इसके अलावा अपने परिचय में यही कहना पसंद करूँगा कि मै स्वयं अपना परिचय अपनी रचनाओं मे ढूँढ रहा हूँ, शायद कभी पा सकूँ