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कामनाओं का कुहासा
मैं 1997 से 2000 तक राजस्थान सिन्धी अकादमी का अध्यक्ष था। ‘कामनाओं का कुहासा’ उस कालावधि में हुए कार्यकलापों, आत्ममंथन, आत्मविश्लेषण और दृष्टि पर आधारित उपन्यास है। लेखा-जोखा, रपट या संस्मरण मानकर रचना के उपन्यास तत्त्व को इसलिये गौण नहीं मानना चाहिये क्योंकि उस समय जो नहीं हुआ या नहीं घटा या तकनीक ने जिसे स्पर्श नहीं किया था उसका समावेश भी उपन्यास में हुआ है।
— भगवान अटलानी
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प्रकाशन: 8 उपन्यास, 11 कहानी संग्रह, 4 नाटक, 4 एकांकी संग्रह, 3 निबन्ध संग्रह, नवसाक्षरों के लिए एक कहानी पुस्तिका, दो शोध आलेखों के संग्रह और एक प्रतिनिधि रचनाओं का संकलन।
300 से अधिक कार्यक्रम आकाशवाणी/दूरदर्शन से प्रसारित।
अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
राजस्थान सिन्धी अकादमी की साधारण सभा के नौ वर्ष और कार्यकारिणी के तीन वर्ष सदस्य। राजस्थान सिंधी अकादमी के अध्यक्ष (1997-2000)। केन्द्रीय साहित्य अकादमी के सिन्धी सलाहकार बोर्ड के सदस्य (2003-2017)। राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, नई दिल्ली के सदस्य (2014-2017)