डॉ. अनिल चड्डा की पुस्तकें
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  • कुछ ज्ञात कुछ अज्ञात

    लगता है कहाँ - कहाँ से बीत जायेगा जीवन
    आजीवन खोजता ही रहूँगा अस्तित्व अपना
    बोध होगा अपनत्व मेरी रिक्ति का
    दुनिया को जब, तब मैं न होऊँगा
    होगा मेरा अस्तित्व -
    पर मैं अनभिज्ञ ही रहूँगा!!
    ******
    नंगी जलाई लाशें, कफ़नों का करके सौदा,
    अपना है या पराया, कुछ भी न तूने सोचा,
    तू भी बनेगा मिट्टी, अंजाम यही है!
    *****
    ताण्डवी

Author's Info

डॉ. अनिल चड्डा 'Dr. Anil Chadah'

आपका जन्म दिल्ली में 1952 में हुआ था । कविता लिखने का शौक बचपन से ही रहा है, शायद 14-15 वर्ष की उम्र से । दिल्ली से विज्ञान में स्नातक तक की पढाई करने के बाद आपने अपनी कविता में निखार लाने के लिए हिंदी में एम.ए. किया और फिर पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की । 1972 में सरकारी नौकरी शुरू करके 2012 में निदेशक के पद से सेवानिवृत हुए । इस बीच अनेकों कविताओं की रचना की, जिन्हें इनके ब्लोगों https://anilchadah.blogspot.com, https://anubhutiyan.blogspot.in  पर पढ़ा जा सकता है । इनकी रचनायें साहित्यकुञ्ज, शब्दकार एवं हिन्दयुग्म जैसी ई-पत्रिकाओं के अतिरिक्त सरिता, मुक्त, इत्यादि पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होती रही हैं ।
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