सामाजिक
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  • बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख़्वाब

    प्रदीप श्रीवास्तव का दूसरा उपन्यास ’बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख़्वाब’ विपरीत परिस्थितियों के अंधकार को चीर कर प्रकाश की ओर की यात्रा की कहानी है। अगर जीवन-साथी हमसफ़र और हमक़दम हो तो कुछ भी असम्भव नहीं।

  • भीगे पंख

    "यह कहानी विभिन्न मनःस्थितियों में जी रहे तीन ऐसे पात्रों की कहानी है जो असामान्य जीवन जीने को अभिशप्त हैं...........तीनों पात्र मोहित, सतिया और रज़िया असामान्य परंतु एक दूसरे से भिन्न जीवनस्थितियों में जीने वाले व्यक्ति हैं जो भवसागर में गोते लगाते हुए एक दूसरे के निकट आ गये हैं- मोहित ‘आई ऐम नॉट ओ.के. : यू आर ओ.के.’ की चाइल्ड की जीवनस्थिति में है, सतिया ‘आई ऐम ओ.के. : यू आर नॉट ओ.के.’ की

  • पथ के दावेदार

    .."पथ के दावेदार" स्व. शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय के बंगाला उपन्यास "पथेर दावी" का हिन्दी अनुवाद है। क्योंकि यह उपन्यास समाज में स्वतन्त्रता के लिए क्रांति की पैरवी करता था, इसलिए बंगला में प्रकाशित होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने इस ज़ब्त कर लिया। पुस्तक बाज़ार के सौजन्य से "पथ के दावेदार" का निःशुल्क आनन्द उठाएँ।

  • मन्नू की वह एक रात

    …. कह कर मन्नू अपने स्टडी रूम में चली गई। उसे जाते हुए बिब्बो पीछे से देखते रही। उसको देखकर उसने मन ही मन कहा - हूं ..... किताबें ... इन्होंने तुझे भटका दिया बरबाद कर दिया। पर नहीं किताबें तो सिर्फ़ बनाती हैं। किताबों ने तुम्हें नहीं बल्कि सच यह है कि तुमने किताबों को बरबाद किया। वह तो पवित्र होती हैं तुमने उन्हें अपवित्र कर बदनाम किया। एक से एक अनर्थकारी बातें

  • क्योंकि... औरत ने प्यार किया

    "औरत तो उस रोटी सी होती है जिसे भीतर रख दें तो सूख जाती है, और बाहर रख दें तो कौए लूट लेते हैं।"

     

    "औरत... जन्म देती है... फिर भी... माँ... बेटी... बहन... पत्नी... हर रूप में क्यों सताई जाती है औरत....?"

     

    "औरत.... क्यों सुरक्षा और सर की छत के लिए जीवन भर गृहस्थी के पट्टे पर हस्ताक्षर करती है?"

     

    "औरत... सारी उम्र दूसरों के लिए ही तो जीती है। जन्म लेती

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