प्रदीप श्रीवास्तव की पुस्तकें
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  • मेरी कहानियाँ खंड एक

    प्रदीप श्रीवास्तव एक विशेष श्रेणी के कहानीकार हैं। उनके सृजन का कैनवस बहुत विस्तृत है। समाज की विसंगतियों से लेकर भ्रष्ट राजनीति तक; समाज की विकृतियों से लेकर समाज सेवा में अपने प्राण निछावर कर देने की भावना उनकी कहानियों में झलकती है। इस कथा संचयन की कुछ कहानियाँ कोरोना काल की भी हैं। इनमें मानवीय संवेदना की पराकाष्ठा भी देखने को मिलेगी तो दूसरी तरफ़ प्रशासन की अव्यवस्था पर भी करारी चोट करती हुई

  • नक्सली राजा का बाजा एवं अन्य कहानियाँ

    प्रदीप श्रीवास्तव उन बिरले रचनाकारों में हैं जो घटनाओं और व्यक्तियों के मनोविज्ञान की बारीक़ियों की सूक्ष्म पड़ताल करते हैं। फिर ऐसे परत दर परत खोलते हैं कि आम व्यक्ति हो या शिक्षित, सभी देश को अस्थिर करने की सारी चालें समझ जागरूक होता है। कहानियाँ इसी वज़ह से लंबी होती हैं पर उनमें कसावट, रोचकता और घटनाओं का तेज़ प्रवाह होता है।

    —डॉ. सन्दीप अवस्थी 
    आलोचक, फ़िल्म लेखक

  • वह अब भी वहीं है

    हर उपन्यास, कहानी के पीछे भी एक कहानी होती है। जो उसकी बुनियाद की पहली शिला होती है। उसी पर पूरी कहानी या उपन्यास अपनी इमारत खड़ी करता है। यह उपन्यास भी कुछ ऐसी ही स्थितियों से गुज़रता हुआ अपना पूरा आकार ग्रहण कर सका

  • बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख़्वाब

    प्रदीप श्रीवास्तव का दूसरा उपन्यास ’बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख़्वाब’ विपरीत परिस्थितियों के अंधकार को चीर कर प्रकाश की ओर की यात्रा की कहानी है। अगर जीवन-साथी हमसफ़र और हमक़दम हो तो कुछ भी असम्भव नहीं।

  • मन्नू की वह एक रात

    …. कह कर मन्नू अपने स्टडी रूम में चली गई। उसे जाते हुए बिब्बो पीछे से देखते रही। उसको देखकर उसने मन ही मन कहा - हूं ..... किताबें ... इन्होंने तुझे भटका दिया बरबाद कर दिया। पर नहीं किताबें तो सिर्फ़ बनाती हैं। किताबों ने तुम्हें नहीं बल्कि सच यह है कि तुमने किताबों को बरबाद किया। वह तो पवित्र होती हैं तुमने उन्हें अपवित्र कर बदनाम किया। एक से एक अनर्थकारी बातें

Author's Info

प्रदीप श्रीवास्तव 'Pradeep Srivastava'

जन्म:  लखनऊ में 1 जुलाई, 1970
प्रकाशन:

  • मन्नू की वह एक रात (उपन्यास) अप्रैल 2013 में प्रकाशित 
  • दो कहानी संग्रह, नाटक एवं पुस्तक समीक्षाओं का संग्रह शीघ्र प्रकाश्य
  • कहानी एवं पुस्तक समीक्षाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित

संपादन:

  • हर रोज सुबह होती है (काव्य संग्रह) एवं वर्ण व्यवस्था पुस्तक का संपादन

संप्रति:

  • लखनऊ में ही लेखन, संपादन कार्य में संलग्न

ई-मेल: [email protected]