ज़िंदगी की परिभाषा

सुशी सक्सेना

मेरे दिल में भी बहुत सारी बातें थीं जो किसी से कहना तो चाहते थे पर कह नहीं पाए। इससे पहले की मेरी ज़िन्दगी की परिभाषा बदले मैंने उसके लिए काग़ज़ क़लम का सहारा लिया और अपने दिल की सारी बातें उसमें लिख डालीं जिससे दिल को आराम भी मिल गया और ये किताब भी बन गई। इसमें मैंने कुछ ऐसी आँखों देखी और कुछ पढ़ी हुई कहानियों को सम्मिलित किया है जिन्होंने मेरे दिल

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