कामनाओं का कुहासा
मैं 1997 से 2000 तक राजस्थान सिन्धी अकादमी का अध्यक्ष था। ‘कामनाओं का कुहासा’ उस कालावधि में हुए कार्यकलापों, आत्ममंथन, आत्मविश्लेषण और दृष्टि पर आधारित उपन्यास है। लेखा-जोखा, रपट या संस्मरण मानकर रचना के उपन्यास तत्त्व को इसलिये गौण नहीं मानना चाहिये क्योंकि उस समय जो नहीं हुआ या नहीं घटा या तकनीक ने जिसे स्पर्श नहीं किया था उसका समावेश भी उपन्यास में हुआ है। — भगवान अटलानी