पुस्तक बाज़ार की पुस्तकें
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  • मेवामय यह देश हमारा

    एक ख़ुशखबरी! स्वर्ग में शर्तिया देशभक्ति का टीका और ड्रॉप बन कर तैयार हो गए हैं। अभी अभी विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि वहाँ के स्वास्थ्य मंत्री ने देशभक्ति टीकाकरण अभियान को हरी झंडी दिखा अपने देश को रवाना भी कर दिया है। सभी वोटरों से निवेदन है कि वे अपने-अपने प्रिय नेता को लेकर देशभक्ति टीकाकरण केंद्र पर अगले रविवार को पहुँच कर उन्हें देशभक्ति का टीका ज़रूर लगवाएँ, देशभक्ति के दो

  • आगाज़

    आहुति -
    कहते हैं कि हर चीज़ के दो पहलू होते हैं, अच्छा और बुरा। ऐसा ही कुछ मीडिया के साथ है। राई का पहाड़ बनाना या बात को तूल देना इन्हें ख़ूब आता है। यह अच्छी बात है कि ख़बर अच्छी हो या बुरी, जनमानस तक पहुँचाना इनका कर्तव्य है परन्तु ख़बर देने के मामले में ये एक दूसरे से आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा में इस क़दर अन्धे हो जाते हैं कि ख़बरों

  • क्योंकि... औरत ने प्यार किया

    "औरत तो उस रोटी सी होती है जिसे भीतर रख दें तो सूख जाती है, और बाहर रख दें तो कौए लूट लेते हैं।"

     

    "औरत... जन्म देती है... फिर भी... माँ... बेटी... बहन... पत्नी... हर रूप में क्यों सताई जाती है औरत....?"

     

    "औरत.... क्यों सुरक्षा और सर की छत के लिए जीवन भर गृहस्थी के पट्टे पर हस्ताक्षर करती है?"

     

    "औरत... सारी उम्र दूसरों के लिए ही तो जीती है। जन्म लेती

  • ख़ुमारी

    "ख़ुमारी" की ग़ज़लें संपूर्ण जीवन की ग़ज़ले हैं। राजनैतिक मुद्दे, धार्मिक विडम्बनाएँ, व्यक्तित्व के प्रश्न, प्रेम, बिछोह, मिलन यानी कि मानव जीने के लिए जिन गलियों में से गुज़रता है, जसबीर की ग़ज़लें भी उन्हीं गलियों से गुज़रती हैं। "ख़ुमारी" का हरेक शे’अर उम्दा है। हर भाव में कसक है, हर प्रश्न सोचने पर मजबूर करता है, पढ़ते हुए पाठक को लगता है कि उसका सीधा संवाद लेखक से हो रहा

  • लाश व अन्य कहानियाँ

    “अरे, यह तो कोई देसी है। देख तो पायल पहने है।”
    “हाय नी! देसी ब्लाँड! ज़रूर ही आवारा है।”
    “ऐंवे ही आवारा-आवारा की रट लगा रही है तू! कैसे जानती है तू कि यह आवारा है?”
    “देखती नहीं तू इसके ब्लाँड बालों को। देसी औरत और ब्लाँड बाल!” पहली ने अपना तर्क दिया।
    “तो क्या बाल रँगने से आवारा हो गयी वो... तू भी तो मेंहदी लगा कर लालो-परी बने घूमती

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