चाण्डाल-चौकड़ी

दिनेश चन्द्र पुरोहित

मोहनजी – 
[क़िले के सामने नज़र दौड़ाते हुए] – अरे ठोकिरा कढ़ी खायोड़ा मेहरान गढ़ के क़िले, तू कहाँ जा रिया है...?
लाडी बाई – 
[ग़ुस्से से बेक़ाबू होकर, कहती है] – कहीं नहीं जा रहा है, यह जोधपुर का क़िला। कल जहाँ था, आज भी वहीं है।
मोहनजी – 
क्या कहा, आपने?
लाडी बाई – 
मारवाड़ के लोगों की हालत यह है, कि इस जोधपुर के क़िले

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