चाण्डाल-चौकड़ी
मोहनजी –
[क़िले के सामने नज़र दौड़ाते हुए] – अरे ठोकिरा कढ़ी खायोड़ा मेहरान गढ़ के क़िले, तू कहाँ जा रिया है...?
लाडी बाई –
[ग़ुस्से से बेक़ाबू होकर, कहती है] – कहीं नहीं जा रहा है, यह जोधपुर का क़िला। कल जहाँ था, आज भी वहीं है।
मोहनजी –
क्या कहा, आपने?
लाडी बाई –
मारवाड़ के लोगों की हालत यह है, कि इस जोधपुर के क़िले