हास्य-व्यंग्य
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  • पतियों का एक्सचेंज ऑफर

    पति अपने को बुद्धिमान व पत्नी को कई बार कमतर समझता है। यह उसकी ग़लत-फ़हमी होती है। पत्नी पति की छोटी से छोटी चीज़ों पर नज़र रखती है जिसकी कि उसे भनक तक नहीं होती। हाँ इसके पीछे उसका उद्देश्य सकारात्मक ही होता है।

    – सुदर्शन सोनी

  • अगले जनम मोहे कुत्ता कीजो

    कल्पना करें एक ऐसे लेखक की जिसे कुत्ता पालने का लगभग पच्चीस सालों का लम्बा अनुभव हो। कितनी कहानियाँ होंगी उसके पास। और यदि वह लेखक व्यंग्यकार हो तब तो कहना ही क्या! हमारे सुदर्शन जी का यही क़िस्सा है। सुदर्शन जी की व्यंग्य में एक जगह है। वे इतने सालों से कुत्ता पालते रहे हैं और इससे बचे समय में व्यंग्य भी लिखते रहे हैं। कुत्ते को इन्होंने इतने क़रीब से, इतनी तरह से

  • गुरु गूगल दोऊ खड़े

    आज के ज़माने में गुरु का हाल देख कर दिल दहल उठता है। तुलसी दास जी ने लिखा है “मातु पिता अरू गुरु की बानी/बिनहि विचार करिय शुभ जानी” पर लगता है इस चौपाई में से अब गुरु को बाहर निकालने का समय आ गया है। आज गुरु पर भरोसा करना शिष्य को भारी पड़ सकता है। गुरु गुरुता खो चुके हैं। इतना ही नहीं आज गुरु के न जाने कितने विकल्प आ गये हैं।

  • शिष्टाचार के बहाने

    पुलिस मुहकमे में फरमान जारी हुआ कि वे शिष्टाचार सप्ताह मनाएँगे।
    आम जनता का दहशत में आना लाज़िमी सा हो गया।
    वे किसी भी पुलिसिया हरकत को सहज में लेते नहीं दीखते।
    डंडे का ख़ौफ़ इस कदर हावी है कि सिवाय इसके, वर्दी के पीछे सभ्य सा कुछ दिखाई नहीं देता। पुलिस के हत्थे आप चढ़ गए, तो पुरखों तक के रिकार्ड और फ़ाइल वे मिनटों में डाउनलोड करवा लेते हैं।

  • नेता के आँसू

    नेता के आँसू से ....
    एक दिन अख़बारों में एक चौंका देनेवाली ख़बर छपी कि नगर में धड़ल्ले से नेताजी के नक़ली आँसू असली दामों में बेचे जा रहे हैं। इस समाचार से भूचाल-सा आ गया। श्रद्धालु जनता की आस्था पर यह करारी चोट थी। लोगों ने सरकार को चेतावनी दी कि नक़ली आँसुओं के विक्रेताओं को तुरंत गिरफ़्तार करें और कड़ी से कड़ी सज़ा दें। सरकार सक्रिय हुई मगर नतीजा शून्य रहा। लोगों

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