पुस्तक बाज़ार की पुस्तकें
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  • ज़िंदगी की परिभाषा

    मेरे दिल में भी बहुत सारी बातें थीं जो किसी से कहना तो चाहते थे पर कह नहीं पाए। इससे पहले की मेरी ज़िन्दगी की परिभाषा बदले मैंने उसके लिए काग़ज़ क़लम का सहारा लिया और अपने दिल की सारी बातें उसमें लिख डालीं जिससे दिल को आराम भी मिल गया और ये किताब भी बन गई। इसमें मैंने कुछ ऐसी आँखों देखी और कुछ पढ़ी हुई कहानियों को सम्मिलित किया है जिन्होंने मेरे दिल

  • भोला विनायक

    स्वर्गीय पंडित बालकृष्ण भट्ट द्वारा “नूतन ब्रह्मचारी’ नामक एक लघु उपन्यास आधार बनाते हुए, मैंने एक मनोरंजक नाटक तैयार किया है। जिसका नाम रखा है “भोला विनायक”। कहानी में कुछ बदलाव लाकर मैंने इस नाटक में हास्य रस लाने की कोशिश की है। मैंने इस पुस्तक के पहले दो हास्य नाटक लिखे हैं उन पुस्तकों का नाम है, “कहाँ जा रिया है, कढ़ी खायोड़ा और गाड़ी के मुसाफ़िर”।  -दिनेश चन्द्र पुरोहित

  • रोचक विज्ञान बाल कहानियाँ

    बच्चों के लिए अगर शिक्षा उपदेश न होकर रोचक हो, तो वह उसे सहजता से ग्रहण करते हैं। हमारी संस्कृति में पंचतंत्र की कहानियाँ इसकी उदाहरण हैं। आज के युग में विज्ञान महत्वपूर्ण है। इसके मौलिक सिद्धांत बच्चे जितनी कम उम्र से सीख सकें - अच्छा है। ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश" बाल-साहित्य में जाना-पहचाना नाम है। उन्होंने विज्ञान के विषयों को बच्चों के लिए कहानियों द्वारा प्रस्तुत किया है। पुस्तक रोचक है और ज्ञानवर्धक है।

  • आरोहण

    ज़मींदारी व्यवस्था समाप्त होने के बाद भी अपने विभिन्न रूपों में अभी भी अपने स्वार्थ साधने के लिए ग्रामीण और आदिवासी राजनीति पर अपनी जकड़ को ढीला नहीं करना चाहती। सुदर्शन सोनी का यह उपन्यास भ्रष्टाचार की तिकड़ी, राजनीति, पुलिस और ज़मींदारी व्यवस्थाओं की सच्चाइयों को उघाड़ता है।

  • अगले जनम मोहे कुत्ता कीजो

    कल्पना करें एक ऐसे लेखक की जिसे कुत्ता पालने का लगभग पच्चीस सालों का लम्बा अनुभव हो। कितनी कहानियाँ होंगी उसके पास। और यदि वह लेखक व्यंग्यकार हो तब तो कहना ही क्या! हमारे सुदर्शन जी का यही क़िस्सा है। सुदर्शन जी की व्यंग्य में एक जगह है। वे इतने सालों से कुत्ता पालते रहे हैं और इससे बचे समय में व्यंग्य भी लिखते रहे हैं। कुत्ते को इन्होंने इतने क़रीब से, इतनी तरह से

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